Message of Principal

Principal Message

इंदिरा गांधी शासकीय महाविद्यालय पण्डरिया का छत्तीसगढ़ के महाविद्यालयों में अपना एक विशिष्ट स्थान है। महाविद्यालय ने अपने लक्ष्य को सार्थक करते हुए नई ऊॅंचाईयों को छुआ है। महाविद्यालय की स्थापना सन् 1984 में की गई थी, तब महाविद्यालय में स्नातक स्तर तक कला संकाय में अध्ययन की व्यवस्था थी। 37 वर्ष पूर्व लगभग 100 छात्र-छात्राओं के साथ प्रारंभ यह महाविद्यालय आज लगभग 1500 छात्र-छात्राओं को शिक्षा प्रदान कर रहा है। पूर्व मे महाविद्यालय बुनियादी प्राथमिक शाला पण्डरिया के अतिरिक्त कक्ष में संचालित किया जा रहा था जो आज ग्राम-रौहा (पण्डरिया) में अपने स्वयं के 15 एकड़ भूमि में बने भवन से संचालित हो रही है।


इस महाविद्यालय में शिक्षा सत्र 1984 से 2008 तक केवल बी.ए. कला संकाय की कक्षाए संचालित होती रही थी। शिक्षा सत्र 2008-09 में क्षेत्रीय विधायक, जनभागीदारी समिति एवं गणमान्य नागरिकों के प्रयास से बी.एससी. एवं बी.काम. की कक्षाए प्रारंभ की गई तथा सत्र 2010-11 से जनभागीदारी मद से एम.ए. समाजशास्त्र, इतिहास तथा शासकीय मद से बी.काम. और हिन्दी साहित्य की कक्षायें संचालित है । आज महाविद्यालय समस्त  संकायों के अध्ययन-अध्यापन कार्य सतत् रूप से करायें जा रहें हैं।......



विगत सत्र में महाविद्यालय अपने अनुशासन प्रिय छात्रों एवं अधिकारियों तथा कर्मचारियों के सहयोग से अपनी एक नई पहचान बना सका है, सम्पूर्ण अधुनातन सोच के साथ रचनात्मक दृष्टि से सीमित साधनों के बावजूद हमने ऐसा बहुत कुछ हासिल कर लिया है कि भविष्य में प्रवेश की हमारी प्रतिबद्धता एवं संकल्प दृष्टि दृढ़ हुई है। हमारा आत्म विश्वास बढ़ा है और अभिभावकों का विश्वास भी संस्था के प्रति दृढ़ हुआ है। छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति और सहभागिता से हम नई उद्भावनाओं को आकार दे पाने में समर्थ है।


 यद्यपि यह पर्याप्त नही है फिर भी संतोषप्रद है अधिकारियों और कर्मचारियों को और अधिक कोशिश करनी है इसके सिवाय कोई विकल्प नही है। पर्यावरण संरक्षण, स्वरोजगार योजना, एन.एस.एस.,खेलकूद व अन्य गतिविधियों के माध्यम से हमने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता जाहिर कर दी है। हमारा लक्ष्य है युवक-युवतियों को उच्च शिक्षा देना और स्वरोजगारमुखी करना। आईये नये रूप में नये संकल्प के साथ…………साथ-साथ चले, एक आदर्श उच्च शिक्षण संस्थान के निर्माण की कोशिश करें।

स्वच्छ परिसर, अकादमिक परिवेश, ईमानदार चरित्र, निर्विवाद शैक्क्षणिक माहौल


 डा. बी. एस. चौहान

प्रभारी प्राचार्य